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कौन हैं शंकराचार्य? जानें भारत में कैसे शुरू हुई ये पंरपरा, क्या है इनका महत्व

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सनातन धर्म में शंकराचार्य का पद सर्वोच्च माना जाता है. भारत में शंकराचार्य पद की स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी. आदि शंकराचार्य ने भारत में चार मठों की स्थापना की थी. इन चारों मठों में उत्तर के बद्रिकाश्रम का ज्योर्तिमठ, दक्षिण का शृंगेरी मठ, पूर्व में जगन्नाथपुरी का गोवर्धन मठ और पश्चिम में द्वारका का शारदा मठ शामिल है.

इन चार मठों के प्रमुख को शंकराचार्य कहा जाता है. संस्कृत में इन मठों को पीठ कहते हैं. इन मठों की स्थापना करके आदि शंकराचार्य ने अपने चार प्रमुख शिष्यों को जिम्मेदारी सौंपी. तभी से भारत में शंकराचार्य परंपरा की स्थापना हुई है. आइए जानते हैं कि शंकराचार्य कैसे बनते हैं, भारत में कितने शंकराचार्य हैं.

कैसे हुई शंकराचार्य पद की शुरुआत?

मान्यताओं के अनुसार, इस पद की शुरुआत आदि शंकराचार्य द्वारा की गई थी. आदि शंकराचार्य हिंदू दार्शनिक और धर्मगुरू थे, जिन्हें हिंदुत्व के सबसे महान प्रतिनिधियों में एक माना जाता है. सनातन धर्म को मजबूत करने के लिए आदि शंकराचार्य ने भारत में 4 मठों की स्थापना भी की. लेकिन, सबसे पहले जानते हैं कि मठ क्या है.

आखिर मठ क्या होते हैं?

सनातन धर्म के मुताबिक, मठ वो स्थान है जहां गुरु अपने शिष्यों को शिक्षा और ज्ञान की बातें बताते हैं. इन गुरुओं द्वारा दी गई शिक्षा आध्यात्मिक होती है. एक मठ में इन कार्यों के अलावा सामाजिक सेवा, साहित्य आदि से संबंधित काम होते हैं. चलिए जानते हैं कि कैसे चुने जाते हैं शंकराचार्य.

कैसे चुने जाते हैं शंकराचार्य?

शंकराचार्य बनने के लिए संन्यासी होना जरूरी है. संन्यासी बनने के लिए गृहस्थ जीवन का त्याग, मुंडन, अपना पिंडदान और रुद्राक्ष धारण करना बेहद जरूरी माना जाता है. शंकराचार्य बनने के लिए ब्राह्मण होना अनिवार्य है. इसके अलावा तन मन से पवित्र, जिसने अपनी इंद्रियों को जीत लिया हो, चारों वेद और छह वेदांगों का ज्ञाता होना चाहिए. इसके बाद शंकराचार्यों के प्रमुखों, आचार्य महामंडलेश्वरों, प्रतिष्ठित संतों की सभा की सहमति और काशी विद्वत परिषद की मुहर के बाद शंकराचार्य की पदवी मिलती है.

भारत में कितने शंकराचार्य हैं?

1. ओडिशा के पुरी में गोवर्धन मठ, जिसके शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती हैं.

2. गुजरात में द्वारकाधाम में शारदा मठ जिसके शंकराचार्य सदानंद सरस्वती हैं.

3. उत्तराखंड के बद्रिकाश्रम में ज्योतिर्मठ,जिसके शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद हैं.

4. दक्षिण भारत के रामेश्वरम में श्रृंगेरी मठ, जिसके शंकराचार्य जगद्गुरु भारती तीर्थ हैं।

कहां हैं शंकराचार्यों के चार मठ

ये चार मठ आदि शंकराचार्य के समय पर स्थापित किए गए थे. ये चार मठ देश के चार कोनों में हैं.

– गोवर्धन मठ

ओडिशा के पुरी राज्य में गोवर्धन मठ स्थापित है. गोवर्धन मठ के संन्यासियों के नाम के बाद ‘आरण्य’ सम्प्रदाय नाम लगाया जाता है. इस मठ के शंकराचार्य हैं निश्चलानंद सरस्वती जी.

– शारदा मठ

गुजरात के द्वारकाधाम में शारदा मठ स्थित है. शारदा मठ के संन्यासियों के नाम के बाद तीर्थ या आश्रम लगाया जाता है. इस मठ के शंकराचार्य हैं सदानंद सरस्वती जी.

– ज्योतिर्मठ

उत्तराखंड के बद्रिकाश्रम में ज्योर्तिमठ स्थित है. ज्योर्तिमठ के संन्यासियों के नाम के बाद सागर का प्रयोग किया जाता है. इस मठ के शंकराचार्य हैं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद.

– श्रृंगेरी मठ

दक्षिण भारत के रामेश्वरम् में श्रृंगेरी मठ स्थित है. इस मठ के संन्यासियों के नाम के बाद सरस्वती या भारती का प्रयोग किया जाता है. इस मठ के शंकराचार्य है जगद्गुरु भारती तीर्थ.

शंकराचार्य की भूमिका

सनातन धर्म में शंकराचार्य सबसे बड़े धर्म गुरु माने जाते हैं, जो बौद्ध धर्म में दलाई लामा और ईसाई धर्म के पोप के बराबर माने जाते हैं. पूरे भारत में इन चार मठों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है. भारत के संत समाजों में सबसे ऊपर शंकराचार्य आते हैं. अब जानते हैं कि आदि शंकराचार्य कौन थे.

कौन थे आदि शंकराचार्य?

प्राचीन भारतीय सनातन परंपरा के विकास और धर्म के प्रचार-प्रसार में आदि शंकराचार्य का महान योगदान है. उन्होंने सनातन परंपरा को पूरे देश में फैलाने के लिए भारत के चारों कोनों में मठों की स्थापना की थी. आदि शंकराचार्य अद्वैत वेदांत के प्रणेता, संस्कृत के विद्वान, उपनिषद व्याख्याता और सनातन धर्म सुधारक थे. धार्मिक मान्यता में उन्हें भगवान शंकर का अवतार भी माना गया. उन्होंने लगभग पूरे भारत की यात्रा की. इस महान शख्सियत के जीवन का अधिकांश भाग देश के उत्तरी हिस्से में बीता. इन मठों की स्थापना ईसा से पूर्व आठवीं शताब्दी में स्थापित बताए जाते हैं.

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